कभी अतीत के काल क्रम से
कुछ कुछ चुनते रहते
कभी मनस की इच्छाओं के
धागों की चादर बुनते
कभी अनेको घटनाओं के
जंजाल में उलझे रहते
कभी सुहानी डगर दिखाकर
मंद पवन मधुमय से बहते।
कुछ कुछ चुनते रहते
कभी मनस की इच्छाओं के
धागों की चादर बुनते
कभी अनेको घटनाओं के
जंजाल में उलझे रहते
कभी सुहानी डगर दिखाकर
मंद पवन मधुमय से बहते।
प्रियतम प्रेयसी की आंखों के
नव अंकुर फूटी शाखों के
गिरते झरने उड़ती पाँखों के
मित्र हुए सपने लाखों के।
नव अंकुर फूटी शाखों के
गिरते झरने उड़ती पाँखों के
मित्र हुए सपने लाखों के।
उम्मीदों के टूटे सपने
पल भर में सब छूटे अपने
टूटे सपनों ने राह दिखाई
उम्मीदें फिर से बंध आई।
फिर से सज गए कितने सपने
मधुर मधुर मनभावन सपने।
पल भर में सब छूटे अपने
टूटे सपनों ने राह दिखाई
उम्मीदें फिर से बंध आई।
फिर से सज गए कितने सपने
मधुर मधुर मनभावन सपने।
भीतर के भय को समझाता
रातों का है स्वप्न डराता।
मनोवृत्ति को समझ सको।
चित्त शुद्ध आचरण करो।
सपना मधुमय फिर से गाता
इच्छाओं को राह दिखाता।
रातों का है स्वप्न डराता।
मनोवृत्ति को समझ सको।
चित्त शुद्ध आचरण करो।
सपना मधुमय फिर से गाता
इच्छाओं को राह दिखाता।
-देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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