Friday 1 May 2020

जिंदगी

लाख आये तबाही के मंजर यहां
विघ्न व्याधि उदासी के खंजर यहां।
टूटता ही नही सिलसिला जिन्दगी
है बड़ा जीने का हौसला जिंदगी।
मौत सिरहाने पे मुस्कुराती खड़ी
हाथ में जिंदगी तेरी है हथकड़ी।
मुश्किलों के कहर से समर ठान लूं
इतना आसां नही हार मैं मान लूं।
नित संघर्ष ही है कहानी मेरी
हूं मैं इंसा यही है निशानी मेरी।
नई सुबह नई रोशनी आएगी
ये विपत्ति भी एक रोज टल जाएगी।
साथ हूँ मैं तेरे हर कदम हर जनम
होगी ऐसे नही ये कहानी खतम।
अश्रु मोती बने हैं तुम्हारे लिए
भूल जाओ न जो हमने वादे किए।
तेरी गलियों में आता जाता रहूंगा
जिंदगी मैं तुझे गुनगुनाता रहूंगा।
देवेंद्र प्रताप वर्मा’विनीत”

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