Monday 19 February 2024

हिन्दी

 भारत माँ की भाषा हिन्दी

कवियों की अभिलाषा हिंदी,

ख्वाब संजोए अंतर्मन की

मधुमय शीत सुवासा हिन्दी।


अखिल विश्व में है सम्मान

सार्थक सकल प्रतिष्ठावान,

देश काल से परे कांतिमय

अनुपम सी उल्लासा हिंदी।


माघ महाकवि का श्रृंगार

भारतेंदु का चिर सत्कार,

तुलसी की चितवन चौपाई

नवयुग की परिभाषा हिंदी।


मीरा के सुर,भजन सूर के

कालजयी दोहे कबीर के,

चंचल दृष्टि बिहारी की रति

रहिमन की प्रत्याशा हिंदी।


सहज भाव मे पीर उकेरे

दुख दुखियों के हैं बहुतेरे,

महादेवी निराला दिनकर

सबकी शोक पिपासा हिंदी।


शब्दों से सेवा नित करते

नवांकुर आलोक उभरते,

कहाँ छोर है मानस तट का

प्रकट करे जिज्ञासा हिंदी।


हिंदी की सेवा का वर दो

हे ईश्वर वह दृष्टि मुझे दो,

देख सकूं तेरा विस्तार

तू शिव तो कैलाशा हिंदी।।


-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'

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