Sunday 26 June 2016

बात छोटी सी

रात छोटी सी
प्रियतम के संग
बात छोटी सी
बड़ी हो गई
रिवाजों की दीवार
खड़ी हो गई
बात छोटी सी
कलह की वजह
जात छोटी सी
हरी हो गई
उन्माद की फसल
घात होती सी
कड़ी हो गई
बदलाव की नई
मात छोटी सी
बरी हो गई
रोक तिमिर- रथ
प्रात छोटी सी
………देवेन्द्र प्रताप वर्मा”विनीत”

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