कहीं है आग कहीं है धूआं,
कहीं किसी के सपनों का जल रहा है आशियाँ।
कोई किसी की याद मे आँसू बहा रहा है,
कोई किसी की छाव से दामन बचा रहा है।
मझधार मे कश्तियां साहिल की तलाश कर रही हैं,
टूटे दिलों की धड़कने फरियाद कर रही हैं।
नफरत को दिलों से दूर कर दो,
प्यार के रंग सबकी आँखों मे भर दो।
बनके दुश्मन जहां को जो जलाते रहे हैं,
जिंदगी से जिंदगी को मिटाते रहे हैं।
प्यार दो उनको इतना कि भूल जाए वो खुद को,
सज़ों ले आँखों मे प्यार के आशियाने हजारों।
भूल गए हैं जो चैन और अमन की जिंदगी,
प्रेम की राह पे उनको वापस पुकारो।
वो भी इंसान हैं हम भी इंसान हैं,
फिर किसलिए अपनी राहें अलग हो।
मिटा दे दूसरों के लिए खुद की जिंदगी,
यही हम सबकी जिंदगी का सबक हो ।
कितना सुंदर हो जाएगा तब अपना जहां,
खुशबू के रंग जमी पर बरसाएगा आसमा।
दिलों मे प्यार के फूल खिलने लगेगें,
चमन मे अमन के गीत बजने लगेगे।
……………….देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
कहीं किसी के सपनों का जल रहा है आशियाँ।
कोई किसी की याद मे आँसू बहा रहा है,
कोई किसी की छाव से दामन बचा रहा है।
मझधार मे कश्तियां साहिल की तलाश कर रही हैं,
टूटे दिलों की धड़कने फरियाद कर रही हैं।
नफरत को दिलों से दूर कर दो,
प्यार के रंग सबकी आँखों मे भर दो।
बनके दुश्मन जहां को जो जलाते रहे हैं,
जिंदगी से जिंदगी को मिटाते रहे हैं।
प्यार दो उनको इतना कि भूल जाए वो खुद को,
सज़ों ले आँखों मे प्यार के आशियाने हजारों।
भूल गए हैं जो चैन और अमन की जिंदगी,
प्रेम की राह पे उनको वापस पुकारो।
वो भी इंसान हैं हम भी इंसान हैं,
फिर किसलिए अपनी राहें अलग हो।
मिटा दे दूसरों के लिए खुद की जिंदगी,
यही हम सबकी जिंदगी का सबक हो ।
कितना सुंदर हो जाएगा तब अपना जहां,
खुशबू के रंग जमी पर बरसाएगा आसमा।
दिलों मे प्यार के फूल खिलने लगेगें,
चमन मे अमन के गीत बजने लगेगे।
……………….देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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