Sunday 26 June 2016

सारे जग मे अपनी पहचान बनाना है

सारे जग मे अपनी पहचान बनाना है,
फूलों से कलियों से मुस्कान चुराना है।
ग़म की वादी को हम खुशियों से सजाएगें,
हर दिल मे मोहब्बत का एक फूल खिलाएगें
अरमानों के गुलशन को सपनों से सजाना है।
काँटों भरे जीवन मे हर ग़म को झलेंगे,
अंगारों की सेजों पे बिन आह के सो लेंगे।
चाँद सी शीतलता धरती पे लाना है ।
राहें अपनी आसान नहीं
मंजिल से पहले आराम नहीं,
इन राहों पे हमको चलना है
हर दर्द की धूप को सहना है।
जीवन की सांझ से पहले मंजिल तक जाना है।
कुछ हो न मगर इस दुनिया मे
ये गीत हमारे रह जायगे,
दिल की आंखो से देखना तुम
हम दिल मे तुम्हारे आएगे।
जो गीत ये हमने गाया है अब तुमको गाना है।
………………………….देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”

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