Tuesday 17 April 2018

क्षणिक

जवाब सीधा है सरल है
पीछे कई कठिन सवाल है
क्षणिक जो भी है
एक लंबा संघर्ष है अंतराल है
मुस्कुराहटें
जो प्रतिमान हैं
दिव्यता की पहचान हैं
अंतस में समेटे हैं
पीड़ा के कई महासिंधु
यूँ ही नही है ज्योतिर्मयी
मधुमय मुख-बिंदु।
 
देवेंद्र प्रताप वर्मा"विनीत"

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